ईसा मसीह किसके अवतार है - ईसा मसीह यानी Jesus Christ जिन्हे यीशु मसीह के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म, मृत्यु, और जीवन संबंधी बहुत सारी धारणाएं हैं। कुछ लोग ईसा मसीह को भगवान मानते हैं, कुछ धर्म प्रचारक तो कोई उन्हें भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं।
लेकिन असल में ईसा मसीह कौन थे (Who was jesus christ) और ईसा मसीह किसके अवतार है (Jesus kiske avtar hai)? ईसाइयों के धर्म बाइबल और 4 अलग अलग गॉस्पेल के अध्ययन करने पर इसके जवाब मिलते हैं। मैंने आपके लिए कुछ गॉस्पेल और बाइबिल संबंधी थोड़ी रिसर्च कर के जानकारी प्राप्त की है।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा ईसा मसीह का सच और ईसा मसीह की कहानी क्या है। मैं आपको बताऊंगी जीसस क्राइस्ट किसके अवतार थे (Jesus Christ incarnation of whom?)। आर्टिकल पूरा पढ़े, बहुत ज्ञानवर्धक है।
ईसा मसीह कौन थे? Who Was Jesus Christ In Bible
ईसा मसीह पहली सदी के यहूदी धर्म उपदेशक थे (धर्म का उपदेश देने वाला) और एक धार्मिक नेता थे जो हर प्राणी से प्रेम करने का उपदेश देते थे। लियुक (Luke) और मैथ्यू (Matthew) गॉस्पेल के अनुसार जीसस क्राइस्ट का जन्म बेथलेहेम (Bethlehem, Judea) में 25 दिसंबर को माना जाता है। जीसस के अनुयायी उन्हें ईश्वर पुत्र (Son Of God) कहकर सम्बोधित करते थे।
लेकिन जॉन गॉस्पेल (John Gospel) के अनुसार ईसा मसीह (Isa Messiah) के जन्म संबंधी अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बाइबिल के अनुसार ईसा मसीह के माता पिता का नाम मैरी और जोसेफ था लेकिन जीसस का जन्म मैरी और जोसेफ की शादी से पहले ही हो गया था।
यानी कि जीसस मैरी और जोसेफ के संभोग यानी यौन क्रिया से उत्पन्न नहीं हुए थे बल्कि एक दिव्य आत्मा उसे कुआंरी मैरी के गर्भ में छोड़ गई थी और यह कहा था कि भगवान पुत्र (Son of God) की मां बनने वाली हो। आस पास के भेड़ बकरी चरवाहे जब यह सुनते हैं तो वह इस नन्हे बच्चे को अपना मसीहा मानने लगते हैं।
ईसा मसीह या जीसस कौन थे, इसके संबंधी सटीक जानकारी न तो बाइबल में मिलती है और न ही चार गॉस्पेल (Gospel of luke, john, में मिलती है। कुछ रिसर्चर्स और इतिहासकर्ताओं का तो यहां तक कहना है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ ही नहीं था तो कुछ Jesus Christ के अस्तित्व को ही नकारते हैं।
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ईसा मसीह का जन्म कब हुआ था? When Jesus Christ birth
बाइबल और ईसाई धर्मशास्त्रों के अनुसार जीसस का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। हालांकि लगभग सभी ईसाई धर्म और यीशु को मानने वाले लोग 25 दिसंबर को ही इस दिन को यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।
ल्यूक के गॉस्पेल में, सम्राट ऑगस्टस (King Augustus) एक जनगणना का आदेश करता है, जिसमें यीशु के जन्म का विवरण प्रस्तुत किया गया है। नाज़रेथ से बेथलहम जाने के लिए, जोसेफ और मैरी, जो गर्भवती थीं, 150 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़े।
यह विचार कि यह जनगणना सर्दियों के महीनों के दौरान आयोजित की गई थी, असंभव है क्योंकि सम्राट ने शायद यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि उसकी प्रजा ठंड के मौसम में इतनी दूरी तय करेगी और इतनी कठिनाइयों को सहन करेगी। ऐसा में दिसंबर में यीशु का जन्म दिसंबर में संभव नही है।
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ईसा मसीह किसके अवतार है ? Jesus kiske avtar hai
ईसा मसीह कोई कोई अवतार नहीं बल्कि ईसाई धर्म प्रचारक थे जिन्होंने प्रेम, धर्म, और ईश्वर से प्रेम का पाठ लोगों को पढ़ाया। मैथ्यू, मार्क, और लियुक के गॉस्पेल के अनुसार यीशु ने कभी भी खुद को कोई अवतार या भगवान नहीं कहा था, बल्कि वे खुद को ईश्वर का पुत्र (Son of God) कहते थे लेकिन उनके अनुयायी उन्हें भगवान का अवतार मानते थे।
लेकिन ईसाई धर्म के अंतिम गॉस्पेल Gospel of John में ईसा मसीह को ऐसे शब्द कहते हुए सुना गया है जिससे लगता है कि वे भगवान थे जैसे "Before Abraham was, I am." (अब्राहम से पहले, मैं था), "If you've seen me, you've seen the Father (GOD)." यदि तुमने मुझे देख लिया है तो तुमने ईश्वर को देख लिया है।
लेकिन इतिहासकारों की मानें तो गॉस्पेल ऑफ जॉन (Gospel of John in Bible) में बहुत सारी खामियां है और कोई ठोस सबूत नहीं है। जीसस क्राइस्ट केवल एक आम व्यक्ति थे जो ईश्वर में अगाध प्रेम और विश्वास रखते थे और ऐसे लोगों से ईश्वर भी प्रेम करता है।
तो ईसा मसीह किसके अवतार है (Whom incarnation Jesus Christ was)? ईसा मसीह कोई अवतार नहीं हैं बल्कि एक पैगंबर थे जो ईश्वर का प्रचार और ईसाई धर्म का प्रचार करते थे। ऐसा नहीं है कि ईसा मसीह एक मात्र ईसाई पैगंबर थे, बल्कि उनसे पहले भी बहुत सारे पैगंबर हुए हैं और उन्होंने प्रेम का मार्ग प्रशस्त किया है।
ईसा मसीह की मृत्यु कैसे हुई? How Jesus died
ईसा मसीह के शिष्य और यहूदी जनता जीसस को ईश्वर का पुत्र यानी Jesus Christ Sun of God मानते थे। उनके अनुसार जीसस स्वयं परमेश्वर के अवतार हैं और परमेश्वर का संदेश लेकर धरती में आए हैं। इस प्रकार उनके अनुयायियों की संख्या हर दिन बढ़ते जा रही थी जो अन्य यहूदी धर्म गुरुओं को खटकने लगी थी।
उनके उपदेशों और चमत्कारों के चरम पर, कई यहूदी यीशु को मसीहा, ईश्वर के पुत्र के रूप में विश्वास करने लगे। यहूदी नेता यीशु के बढ़ते अनुयायियों के कारण उससे डरते और जलने लगे थे। यहूदा इस्करियोती (Judas Iscariot) की मदद से, रोमन सैनिकों ने यीशु को गिरफ्तार कर लिया।
जीसस पर यहूदियों का राजा होने और भगवान होने का झूठा दावा करने के लिए उन पर मुकदमा चलाया गया। रोमन कानून के अनुसार, राजा के खिलाफ विद्रोह की सजा सूली पर चढ़ाकर मौत थी। इसलिए यीशु (isa massiah) को क्रॉस पर लटकाकर और कीलें ठोंकी दी गई और फिर उन्हें मौत दी गई। Jusus crucifixion
यीशु के क्रूस पर चढ़ने से पहले की घटनाओं का वर्णन नए नियम के चार सुसमाचारों (Jesus Crucifixion In Four Gospel) में किया गया है। गॉस्पेल के अनुसार, यीशु को गेथसमेन के बगीचे में गिरफ्तार किया गया था और महायाजक कैफा के पास ले जाया गया था।
कैफा ने यीशु से पूछताछ की और फिर उसे यहूदिया के रोमन गवर्नर पोंटियस पीलातुस को सौंप दिया। पीलातुस को यीशु में कोई दोष नहीं मिला, लेकिन भीड़ ने उस पर उसे क्रूस पर चढ़ाने का दबाव डाला। फिर यीशु को गोलगोथा ले जाया गया, जहाँ उन्हें सूली पर चढ़ाया गया। लगभग छह घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर को सूली से उतारकर कब्र में रख दिया गया।
ईसा मसीह का सूली पर चढ़ना ईसाई धर्म में एक केंद्रीय घटना है, और इसे हर साल गुड फ्राइडे (Good Friday) के दिन मनाया जाता है। यीशु के क्रूस पर चढ़ने तक की घटनाएँ एक जटिल और बहुआयामी कहानी हैं, लेकिन मुख्य संदेश यह है कि यीशु मानवता के पापों के लिए मरे। ईसाइयों का मानना है कि यीशु की मृत्यु एक स्वैच्छिक बलिदान थी, और सभी लोगों के पापों का प्रायश्चित करना आवश्यक था।
ईसा मसीह का सूली पर चढ़ना एक विवादास्पद घटना है और इसकी कई अलग-अलग व्याख्याएँ हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यीशु एक राजनीतिक क्रांतिकारी थे जिन्हें रोमनों ने उनके विचारों के कारण मार डाला था। दूसरों का मानना है कि वह एक धार्मिक नेता थे जिनकी हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने यहूदी अधिकारियों के अधिकार को चुनौती दी थी। फिर भी अन्य लोग मानते हैं कि वह एक दिव्य प्राणी था जो मानवता को पाप से बचाने के लिए मर गया।
आज आपने क्या सीखा
आज के आर्टिकल में हमने बात की ईसा मसीह किसके अवतार हैं (Isa Massih kiske avtar hai) और जीसस के भगवान होने की धारणाओं पर भी चर्चा की। हमने बाइबल और ईसाइयों के चार महत्वपूर्ण गॉस्पेल (gospel) पर चर्चा की और जाना कि ईसा मसीह कोई अवतार नहीं थे।
ये जीसस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह के अनुयाइयों का उनका प्रति प्रेम और समर्पण था जो उन्हें भगवान का अवतार मानते थे। हालांकि काफी बार ईसा मसीह ने खुद को ईश्वर का पुत्र के नाम से संबोधित किया था लेकिन ऐसे तो सभी मनुष्य ईश्वर के ही पुत्र हैं बस दिल में प्रेम भावना होनी चाहिए।
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